रविवार, 3 मार्च 2013

दिल कैसे ना मचलेगा.....

चांदनी रात हो, हमसफर का साथ हो,
दिल कैसे ना मचलेगा..... तुम कहो।

सांसो मे खुशबु, हो मौसम बेइमान हो,
दिल कैसे ना मचलेगा ......तुम कहो।

ऑखो में उंमाद हो, सावन की फुहार हो,
दिल कैसे ना मचलेगा........ तुम कहो।

हाथो मे हाथ हो, इंकार ना इकरार हो,
दिल कैसे ना मचलेगा ......तुम कहो।

चाहतो का आलम हो,मदमस्त शाम हो,
दिल कैसे ना मचलेगा........ तुम कहो।

लरजते होठं हो, सासो की गर्माहट हो,
दिल कैसे ना मचलेगा..... तुम कहो। { अधीर }