चाहतें मेरी कम है, या चाहना तुम्हे है जुर्म,
इक बार आकर बता दिजीये मुझे।
कब तक जियें, तन्हाई के इन अन्धेरो मे,
इक रौशनी तो दिखा दिजीये मुझे।
बांधे रखूं कब तक, सांसों की लङी को मै,
रुख़सत-ए-वक्त बता दिजीये मुझे।
अपने दिल मे बसाकर, अपना बना लो,
या नज़रो से गिरा दिजीये मुझे।
अपनी कहते हो, ना सुनते हो मेरी कुछ,
बस हकिकत बता दिजीये मुझे।
भटक ना जायें ,जिन्दगी की राहो मे हम,
रास्ता बस वो दिखा दिजीये मुझे।
भर दो खुशियां तुम, जिन्दगी मे मेरी भी,
या खाक मे मिला दिजीये मुझे। { अधीर }
इक बार आकर बता दिजीये मुझे।
कब तक जियें, तन्हाई के इन अन्धेरो मे,
इक रौशनी तो दिखा दिजीये मुझे।
बांधे रखूं कब तक, सांसों की लङी को मै,
रुख़सत-ए-वक्त बता दिजीये मुझे।
अपने दिल मे बसाकर, अपना बना लो,
या नज़रो से गिरा दिजीये मुझे।
अपनी कहते हो, ना सुनते हो मेरी कुछ,
बस हकिकत बता दिजीये मुझे।
भटक ना जायें ,जिन्दगी की राहो मे हम,
रास्ता बस वो दिखा दिजीये मुझे।
भर दो खुशियां तुम, जिन्दगी मे मेरी भी,
या खाक मे मिला दिजीये मुझे। { अधीर }