सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

तेरी यादों की महक ..

तेरी ही यादों मे , खोये रहता हुँ मै ,
मेरी चाहतो से ,क्यो बेपरवाह हो तुम।

बहाने ढुंढ़ता हुँ ,तुम्हे याद करने के
कैसे समझाऊँ,मेरी जिन्दगी हो तुम।

मेरी चाहत की, नाकामी का क्या कहुँ,
कबुल ना हुयी अब तक,वो दुआ हो तुम।

हर सांस मे बस, तेरी यादों की महक है,
इस तरसते दिल का, अरमान हो तुम।

कुछ और ख्वाब ही, नही है जिन्दगी मे,
दिल का बस, आखिरी अरमान हो तुम। { अधीर }

21 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. मेरे ब्लोग्स संकलक (ब्लॉग कलश) पर आपका स्वागत है,आपका परामर्श का सर आँखों पर.
      "ब्लॉग कलश"

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (13-02-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  3. बहुत सुन्दर ग़ज़ल....
    प्रेमपगी....
    अनु

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  4. हर सांस मे बस, तेरी यादों की महक है,
    इस तरसते दिल का, अरमान हो तुम।

    कुछ और ख्वाब ही, नही है जिन्दगी मे,
    दिल का बस, आखिरी अरमान हो तुम।

    वाह ... बहुत ही बढिया।

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  5. बहाने ढुंढ़ता हुँ ,तुम्हे याद करने के
    कैसे समझाऊँ,मेरी जिन्दगी हो तुम।
    ..............बेहतरीन रचना देने के लिए आभार

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  6. @Yashoda , di apne hi prerit kiya mujhe blog pe aane ke liye.. aabhar apka

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