रविवार, 3 मार्च 2013

दिल कैसे ना मचलेगा.....

चांदनी रात हो, हमसफर का साथ हो,
दिल कैसे ना मचलेगा..... तुम कहो।

सांसो मे खुशबु, हो मौसम बेइमान हो,
दिल कैसे ना मचलेगा ......तुम कहो।

ऑखो में उंमाद हो, सावन की फुहार हो,
दिल कैसे ना मचलेगा........ तुम कहो।

हाथो मे हाथ हो, इंकार ना इकरार हो,
दिल कैसे ना मचलेगा ......तुम कहो।

चाहतो का आलम हो,मदमस्त शाम हो,
दिल कैसे ना मचलेगा........ तुम कहो।

लरजते होठं हो, सासो की गर्माहट हो,
दिल कैसे ना मचलेगा..... तुम कहो। { अधीर }

23 टिप्‍पणियां:

  1. लरजते होठं हो, सासो की गर्माहट हो,
    दिल कैसे ना मचलेगा..... तुम कहो------bahut sunder

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  2. दिल तो हर हाल में मचलने के लिए शापित है अधीर साहब ..
    बेचारा दिल क्या करे ... ??
    सुन्दर.. बढ़िया

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  3. दिल तो मचलेगा ही,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.

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  4. चाहतो का आलम हो,मदमस्त शाम हो,
    दिल कैसे ना मचलेगा........ तुम कहो।
    वाह ... बेहतरीन

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  5. बहुत खूब सुन्दर लाजबाब अभिव्यक्ति।।।।।।

    मेरी नई रचना
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?

    ये कैसी मोहब्बत है

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  6. दिल लेके मुफ्त कहते है कुछ काम का नही,
    उल्टी शिकायते हुई , अहसान तो गया,,,,


    Recent post: रंग,

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  7. मचल गया दिल मेरा...
    देखो मेरा दिल मचल गया

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  8. बहुत ही सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति...
    :-)

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  9. बहुत सुंदर कोमल भावाभिव्यक्ति सुरेश जी ,

    साभार......


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  10. लरजते होठं हो, सासो की गर्माहट हो,
    दिल कैसे ना मचलेगा..... तुम कहो। {
    मचलने को ही होता है यह दिल,कब मचले, किस पर मचले,यह परवाह कौन करता है.

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  11. बहुत खूब सुन्दर लाजबाब अभिव्यक्ति।
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ! सादर
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये
    कृपया मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे

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