यहाँ कब कौन, किसका हुआ है ,
इंसान जरुरत से, बंधा हुआ है ।
मेरे ख्वाबो मे ही, आते है बस वो,
पाना उनको, सपना बना हुआ है।
सुनो,पत्थर दिलो की बस्ती है ये,
तु क्यों मोम सा, बना हुआ है ।
खुदगर्ज है लोग, इस दुनिया मे,
कौन किसका, सहारा हुआ है ।
कहने को तो बस, अपने ही है वो,
दिलासा शब्दो का, बना हुआ है ।
लोहा होता तो, पिघलता शायद,
इंसान पत्थर का, बना हुआ है।
जीतने का ख्वाब, देखा नही कभी,
हारने का, बहाना एक बना हुआ है ।
नही होता अब, यकिन किसी पर ,
इंसान तो जैसे, हवा बना हुआ है।
लगाके गले, वो परायो को शायद,
अंजान अपनो से ही, बना हुआ है।
छोङो मेरे दर्दे-ए-दिल की फिक्र तुम,
ठोकर खाकर "अधीर" संभला हुआ है । { अधीर }
इंसान जरुरत से, बंधा हुआ है ।
मेरे ख्वाबो मे ही, आते है बस वो,
पाना उनको, सपना बना हुआ है।
सुनो,पत्थर दिलो की बस्ती है ये,
तु क्यों मोम सा, बना हुआ है ।
खुदगर्ज है लोग, इस दुनिया मे,
कौन किसका, सहारा हुआ है ।
कहने को तो बस, अपने ही है वो,
दिलासा शब्दो का, बना हुआ है ।
लोहा होता तो, पिघलता शायद,
इंसान पत्थर का, बना हुआ है।
जीतने का ख्वाब, देखा नही कभी,
हारने का, बहाना एक बना हुआ है ।
नही होता अब, यकिन किसी पर ,
इंसान तो जैसे, हवा बना हुआ है।
लगाके गले, वो परायो को शायद,
अंजान अपनो से ही, बना हुआ है।
छोङो मेरे दर्दे-ए-दिल की फिक्र तुम,
ठोकर खाकर "अधीर" संभला हुआ है । { अधीर }
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंlatest post तुम अनन्त
bahut bahut aabhar apka..
हटाएंवाह, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबढ़िया !
dhanyawad... @shivnath kumar ji
हटाएंलोहा होता तो, पिघलता शायद,
जवाब देंहटाएंइंसान पत्थर का, बना हुआ है।
वाह...बेहतरीन अभिव्यक्ति... शुभकामनायें
sukriya... @ Sandhya sharma ji
हटाएंलोहा होता तो, पिघलता शायद,
जवाब देंहटाएंइंसान पत्थर का, बना हुआ है।
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर गजल ,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
abhar apka ..
हटाएंसुंदर सार्थक गहन अनुभूति की रचना
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
sukriya... @Jyoti khare ji
हटाएंbahut bahut aabhar apka .. @Yashwant mathur ji ..
जवाब देंहटाएंलगाके गले, वो परायो को शायद,
जवाब देंहटाएंअंजान अपनो से ही, बना हुआ है।
शानदार शेर कहा है आपने.
dhanyawad.... Nihar Ranjan ji
हटाएंजीतने का ख्वाब, देखा नही कभी,
जवाब देंहटाएंहारने का, बहाना एक बना हुआ है..
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बहुत सुन्दर लिखा आपने ..
Rahul ji .... sukriya Apka
हटाएंनही होता अब, यकिन किसी पर ,
जवाब देंहटाएंइंसान तो जैसे, हवा बना हुआ है।
सुन्दर अभिव्यक्ति
bahut bahut Aabhar apka .... dr.mahendrag
हटाएंAmazing.... very nice words...
जवाब देंहटाएंThnxx a Lot
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
जवाब देंहटाएंsukriya... Madan saxena ji
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