शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

चाहत

 देते है जो उन्हे ,रिश्तो का वास्ता,
बच्चो सा बहला, जाते है मुझको वो।

बातें करना चाहे ,जो उन्से हम ,
अहसान सा क्यो, जताते है मुझको वो।

करते है जब, प्यार वफ़ा की बातें ,
दिवाना कहके, चले जाते है मुझको वो

चाहत नही उन्को जो मुझसे ,
क्यो जिन्दगी अपनी,बताते है मुझको वो।

बात करे जो उन्से, अपने दर्द की ,
अपना ही दर्द, सुना जाते है मुझको वो।

आते तो है दो चार, पलो के लिए ही ,
फिर उम्मीद, बंधा जाते है मुझको वो।

निकलने को, जो होता है दम मेरा ,
सांसे चार खैरात, दे जाते है मुझको वो। {अधीर }

12 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !!! बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ...
    !! ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है !!

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  2. sukriya ...Sada, sis, ..mujhe lekar bhi aap hi aayi hai aur swagat bhi pahla apne hi kiya ...bahut bahut aabhar sis apka

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  3. क़यामत के दिन अच्छी शुरुआत की है ..!!

    बहुत सारी शुभकामनाये आपको

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  4. निकलने को, जो होता है दम मेरा ,
    सांसे चार खैरात, दे जाते है मुझको वो।
    चलो अच्छा हुआ , कयामत टल गई :))

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  5. @Vibha di..hahahahhaha.....kayamat kai baar ayi aur tal gayi...sadar abhar

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  6. Achche din aapne kadam rakha blog jagat mein...
    badhiya rachna... Aapke blog ko yaha shamil kar liya gaya gaya.. Aap bhi aaye aur join karen..Bahut help milega aapko..
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  7. आते तो है दो चार, पलो के लिए ही ,
    फिर उम्मीद, बंधा जाते है मुझको वो।
    .........शानदार पंक्तियाँ

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