रविवार, 23 दिसंबर 2012

अबला ..

कब तक तू ,अबला बनके रहेगी,
बता ये व्यथा अपनी,अब तु किससे कहेगी।

होते ही रहेंगे, अत्याचार तुम पर,
नर पिशाचों के ज़ुल्मों से, तु जब तक डरेगी।

मां काली की बेटी है, तु याद कर,
सदियों सहा है तुमने, और कब तक सहेगी,

नोच के खा जायेगें, ये भुखे भेङिये,
रणचंडी बनके, जब तक रण में न उतरेगी।

काट डाल हैवानो को, जो जुल्म करे,
कर निश्चय,अब
ग़म नही, तु संहार करेगी।

21 टिप्‍पणियां:

  1. कर निश्चय,अब ग़म नही, तु संहार करेगी।
    बहुत सही ...

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  2. काट डाल हैवानो को, जो जुल्म करे,
    कर निश्चय,अब ग़म नही, तु संहार करेगी।
    समय की मांग भी यही है ,बस तु संहार कर !!

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  3. @Vibha ji .....Ab sahas to karna hi hoga .....Aabhar apka sarahna ke liye

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  4. Yasoda , Di..dekha maine . bahut bahut Aabhar apka protsaahan ke liye

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  5. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  6. @Yashwant Marhur ji ...sukriya apka , asha karta hu apka sahyog yuhi milta rahega

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  7. dukhi mann ke bhav thay jinhe shabdo me kaha hai .....@ Madan mohan ji ....sadar Aabhar apka

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  8. सच कहा आपने ,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    :पोस्ट : "जागो कुम्भ कर्णों" , "गांधारी के राज में नारी "
    '"क्या दामिनी को न्याय मिलेगी ?" http://kpk-vichar.blogspot.in

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  9. मां काली की बेटी है, तु याद कर,
    सदियों सहा है तुमने, और कब तक सहेगी,..

    जागना होगा नारी को फिर से दुर्गा ओर काली का रूप लेना होगा .... कुंठित पुरुष समाज तब ही होश में आएगा ...

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  10. bas ab sabko aisa hi soochna aur aisa hi banna hoga fir dekho kamal......bahut bahut umda likha hai apne...

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