आंखे नम है मेरी, कोई शब्द नही है
अब कुछ भी लिखने को मन नही है
क्या लिखूं , दर्द उस मासूम का,
वहशिपना उन् भूखे भेडियो का,
अंधी बहरी नाकाम सरकारो की बातें
बयान करूं दिल्ली की वो जुल्मी रातें
पुलिसीया बर्बरता को बयान करुं..
या माँ-बहनों की चीत्कार लिखूं मै
लिख दुँ क्या अब मानवता का पतन
बयां करूं मासुम के हमदर्दों का जतन
वहशी सरकारों की जीत लिखूं
या हक में लङतो की हार लिखूं
अधिकार नही अब हक में भी लड़ने का ,
दिल करता है लोकतंत्र को बीमार लिखूं
क्या लिखूं जेहन मे सूझता ही नही अब,
मसला है कि देश का सुलझता नही अब
लिखू रामलीला मैदान या जंतर मंतर
सरकारों में अब दीखता न कोई अंतर
उन कालेज के छात्रो का उपकार लिखूं
या देश की मानसिकता ही बीमार लिखूं
सोचता हुं तो....
दिल में दर्द की लहर सी उठती है
लिखता हुं तो ये कलम रूकती है
सच तो ये है .....
लिख ना पांउगा आज कुछ "अधीर'
बीमार है शायद देश का पूरा शरीर।
अब कुछ भी लिखने को मन नही है
क्या लिखूं , दर्द उस मासूम का,
वहशिपना उन् भूखे भेडियो का,
अंधी बहरी नाकाम सरकारो की बातें
बयान करूं दिल्ली की वो जुल्मी रातें
पुलिसीया बर्बरता को बयान करुं..
या माँ-बहनों की चीत्कार लिखूं मै
लिख दुँ क्या अब मानवता का पतन
बयां करूं मासुम के हमदर्दों का जतन
वहशी सरकारों की जीत लिखूं
या हक में लङतो की हार लिखूं
अधिकार नही अब हक में भी लड़ने का ,
दिल करता है लोकतंत्र को बीमार लिखूं
क्या लिखूं जेहन मे सूझता ही नही अब,
मसला है कि देश का सुलझता नही अब
लिखू रामलीला मैदान या जंतर मंतर
सरकारों में अब दीखता न कोई अंतर
उन कालेज के छात्रो का उपकार लिखूं
या देश की मानसिकता ही बीमार लिखूं
सोचता हुं तो....
दिल में दर्द की लहर सी उठती है
लिखता हुं तो ये कलम रूकती है
सच तो ये है .....
लिख ना पांउगा आज कुछ "अधीर'
बीमार है शायद देश का पूरा शरीर।
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 29/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंZyadakya likhu ..Di....Abhar apka ...swagat yogya hai apka prayaas ..
हटाएंआंखे नम है मेरी, कोई शब्द नही है
जवाब देंहटाएंअब कुछ भी लिखने को मन नही है
बिल्कुल सच कहा आपने ... सार्थकता लिये सशक्त लेखन
आभार
dhanyawad.....sada sis..
हटाएंआंखे नम है मेरी, कोई शब्द नही है
जवाब देंहटाएंअब कुछ भी लिखने को मन नही है
यही दुःख की पराकाष्ठा है. बेहतरीन भावों का संयोजन.
bahut bahut Aabhar apka ...@Nihar Ranjan ji
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंSadar Aabhar ..
जवाब देंहटाएंआंखे नम है मेरी, कोई शब्द नही है
जवाब देंहटाएंअब कुछ भी लिखने को मन नही है.....
!!
Hardik Aabhar ...Vibha , di
हटाएंमन की रहस्यात्मकता को प्रस्तुत करती सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंTahe dil se sukriya ....Apka @ Sanjay Bhaskar ji
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