बिछुङने का दर्द, भुलें नहीं हम अब तक,
रस्ता देख रही है ,हमारी बिलखती आँखें।
मुद्दत हो गयी है, उन्को रुबरु देखे हुये भी,
इंतजार करती है,हमारी सिसकती आँखें।
टुटकर बिखर गये है,हम उन्की जुदाई मे,
नमी को तरसी थी,आज है बरसती आँखें।
दम घुटता है अब,तन्हाई के इन अंधेरों मे,
बंद हो जायेगी ,बिन देखे ही तरसती आँखें। {अधीर }
रस्ता देख रही है ,हमारी बिलखती आँखें।
मुद्दत हो गयी है, उन्को रुबरु देखे हुये भी,
इंतजार करती है,हमारी सिसकती आँखें।
टुटकर बिखर गये है,हम उन्की जुदाई मे,
नमी को तरसी थी,आज है बरसती आँखें।
दम घुटता है अब,तन्हाई के इन अंधेरों मे,
बंद हो जायेगी ,बिन देखे ही तरसती आँखें। {अधीर }